गांधीजी
ने अंग्रेजों द्वारा स्वतंत्र भारत के लिए जो संविधान तैयार किया था उसे अमान्य कर
दिया था और कहा था भारत अपना संविधान स्वयं तैयार करेगा। अभी भारत में प्रतिभाएं
मृत नहीं हुई है और उनका यह वाक्य आज संसार के सर्वश्रेष्ठ संविधान माने जाने वाले
भारतीय संविधान के बारे अक्षरश: सत्य सिध्द हो रहा है। गांधीजी ने यह बात हवा में
नहीं कही थी वरन् उन्होंने आंकड़ों के आधार पर तर्कसंगत कहा था कि ‘भारत के लिए अंग्रेजी सरकार द्वारा जो बजट बनाया गया था उसका 57
प्रतिशत व्यय (सन् 1937-38 का) आर्मी के
नाम पर किया जाना बताया था। यह निरर्थक व्यय था क्योंकि इतना बजट, प्रावधान होने पर भी वे लोग अपने शासनकाल में भारत की सुरक्षा विदेशी
हमलों से नहीं कर पाए थे।’
इससे सिध्द होता है कि यह व्यय निर्धारित मद में नहीं हुआ बल्कि यह व्यय अंग्रेजी शासकों ने अपने ऐशो-आराम और विलासितापूर्ण जीवन के लिए किया।’ जबकि भारत की तत्कालीन लगभग 330 मिलियन जनसंख्या अपने कल्याणकारी कार्यों के लिए तरसती रही। किसी आपदा के समय तत्काल राहत नहीं दी जाती थी ना ही शीघ्र न्याय दिया जाता था। गांधीजी ने स्वतंत्र भारत में पैदा होने वाली उक्त समस्याओं के बारे में कहा था कि हमारी ब्यूरोक्रेसी को वृहत राष्ट्रीय दृष्टिकोण रखना चाहिए और आम जनता को तत्काल शीघ्र न्याय प्रशासनिक हल्कों के माध्यम से देना होगा ताकि उन्हें छोटे-मोटे न्याय के लिए न्यायालय के दरवाजे तक न जाना पड़े।
इससे सिध्द होता है कि यह व्यय निर्धारित मद में नहीं हुआ बल्कि यह व्यय अंग्रेजी शासकों ने अपने ऐशो-आराम और विलासितापूर्ण जीवन के लिए किया।’ जबकि भारत की तत्कालीन लगभग 330 मिलियन जनसंख्या अपने कल्याणकारी कार्यों के लिए तरसती रही। किसी आपदा के समय तत्काल राहत नहीं दी जाती थी ना ही शीघ्र न्याय दिया जाता था। गांधीजी ने स्वतंत्र भारत में पैदा होने वाली उक्त समस्याओं के बारे में कहा था कि हमारी ब्यूरोक्रेसी को वृहत राष्ट्रीय दृष्टिकोण रखना चाहिए और आम जनता को तत्काल शीघ्र न्याय प्रशासनिक हल्कों के माध्यम से देना होगा ताकि उन्हें छोटे-मोटे न्याय के लिए न्यायालय के दरवाजे तक न जाना पड़े।
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