इस साल शांति का नोबेल पुरस्कार भारत के साामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला यूसुफज़ई को दिया गया है.
कैलाश सत्यार्थी 'बचपन बचाओ' नाम का एक ग़ैर सरकारी संगठन चलाते हैं जो बाल मज़दूरी के ख़िलाफ़ काम करता है.
कैलाश सत्यार्थी 'बचपन बचाओ' नाम का एक ग़ैर सरकारी संगठन चलाते हैं जो बाल मज़दूरी के ख़िलाफ़ काम करता है.
वहीं मलाला यूसुफज़ई को पाकिस्तान के क़बायली इलाकों में लड़कियों की शिक्षा की मुहिम चलाने के लिए चरमपंथियों की गोली का निशाना बनना पड़ा
कैलाश सत्यार्थी
विश्व में बहुत से बच्चों का बचपन बंधुआ मजदूर बन जाने से तबाह हो रहा है। यदि विश्व में हर देश में सत्यार्थी जी की तरह एक्टिविस्ट हो जाएं तो विश्व के बहुत से अनाम बच्चों का बचपन और जीवन मुक्त हवा में साँस ले सकेंगे। सुधार, प्रजातंत्र और मानवतावाद स्वयंम नही आते उसके लिए हम सभी को प्रयास करने होंगे।
विश्व में बहुत से बच्चों का बचपन बंधुआ मजदूर बन जाने से तबाह हो रहा है। यदि विश्व में हर देश में सत्यार्थी जी की तरह एक्टिविस्ट हो जाएं तो विश्व के बहुत से अनाम बच्चों का बचपन और जीवन मुक्त हवा में साँस ले सकेंगे। सुधार, प्रजातंत्र और मानवतावाद स्वयंम नही आते उसके लिए हम सभी को प्रयास करने होंगे।
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