भारत सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल
बिहारी वाजपेयी और स्वतंत्रता सेनानी मदन मोहन मालवीय के लिए,
प्रतिष्ठित
भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान की
घोषणा की।
भारत सरकार द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और महामना मदन मोहन
मालवीय को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की घोषणा
की गई है। केंद्रीय कैबिनेट ने दोनों को यह सम्मान देने का फैसला वाजपेयी के 90वें जन्मदिन से एक दिन पहले किया है। मदन मोहन मालवीय का जन्मदिन भी 25 दिसंबर को ही पड़ता है। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'राष्ट्रपति बेहद हर्ष के साथ पंडित मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत( और अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित करते हैं।' वाजपेयी के साथ-साथ बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के संस्थापक मदन मोहन
मालवीय को भी मरणोपरांत भारत रत्न दिए जाने का ऐलान किया गया है।
अटल भारत रत्न से सम्मानित होने वाले बीजेपी से जुड़े पहले नेता हैं। भारत के सर्वाधिक करिश्माई नेताओं में से एक वाजपेयी को एक महान नेता और अक्सर बीजेपी का उदारवादी चेहरा बताया जाता है। वाजपेयी को कई ठोस पहल करने का श्रेय दिया जाता है, जिनमें भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेदों को कम करने का उनका प्रयास प्रमुख रूप से शामिल है। वाजपेयी ऐसे पहले प्रधानमंत्री बने जिनका संबंध कभी कांग्रेस से नहीं रहा।
दूरदृष्टा और महान शिक्षाविद् मालवीय की मुख्य उपलब्धियों में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना शामिल है। 25 दिसंबर 1861 को जन्मे मदन मोहन मालवीय 1886 में कोलकाता में कांग्रेस के दूसरे सत्र में अपने पहले विचारोत्तेजक भाषण के तुरंत बाद ही राजनीति में आ गए थे। वह 1909 से 1918 के बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। मालवीय को स्वतंत्रता संग्राम में उनकी सशक्त भूमिका और हिंदू राष्ट्रवाद के प्रति उनके समर्थन के लिए भी याद किया जाता है। वह दक्षिणपंथी हिंदू महासभा के शुरुआती नेताओं में से एक थे।
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