2014-12-29

विद्यालय का निरीक्षण

विद्यालय का निरीक्षण 



आज विद्यालय में बहुत चहल पहल है ।
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सब कुछ साफ - सुथरा , एक दम
सलीके से ।
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सुना है निरीक्षण को कोई
साहब आने वाले हैं ।
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पूरा विद्यालय चकाचक ।
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नियत समय पर साहब विद्यालय पहुंचे ।
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ठिगना कद , रौबदार चेहरा , और
आँखें तो जैसे
जीते जी पोस्टमार्टम कर दें ।
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पूरे परिसर के निरीक्षण के बाद
उनहोंने
कक्षाओं का रुख किया ।
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कक्षा पांच के एक
विद्यार्थी को उठा कर
पूछा , बताओ देश का प्रधान
मंत्री कौन है ?
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बच्चा बोला -जी राम लाल ।
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साहब बोले -बेटा प्रधान मंत्री ?
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बच्चा - रामलाल ।
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अब साहब गुस्साए - अबे तुझे पांच
में किसने
पहुंचाया ? पता है मैं तेरा नाम
काट
सकता हूँ ।
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बच्चा -
कैसे काटोगे ?
मेरा तो नाम ही नहीं लिखा है ।
मैं तो बाहर बकरी चरा रहा था ।
इस मास्टर ने कहा कक्षा में बैठ
जा दस रूपये मिलेंगे ।
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तू तो ये बता रूपये तू
देगा या मास्टर ?
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साहब भुनभुनाते हुवे मास्टर
जी के पास गए ,
कडक आवाज में पूछा -
क्या मजाक बना रखा है ।
फर्जी बच्चे बैठा रखे हैं ।
पता है मैं तुम्हे नौकरी से बर्खास्त
कर सकता हूँ ।
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गुरूजी -
कर दे भाई ।
मैं कौन सा यहाँ का मास्टर हूँ ।
मास्टर
तो मेरा पड़ोसी दुकानदार है ।
वो दुकान का सामान लेने शहर
गया है।
कह रहा था एक खूसट साहब
आएगा , झेल लेना ।
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अब तो साहब का गुस्सा सातवें
आसमान पर ।
पैर पटकते हुए प्रधानाध्यापक के
सामने जा पहुंचे ।
चिल्लाकर बोले ,
" क्या अंधेरगर्दी है
, शरम नहीं आती ।
क्या इसी के लिए तुम्हारे स्कूल
को सरकारी इमदाद मिलती है ।
पता है ,मैं तुम्हारे स्कूल
की मान्यता समाप्त
कर सकता हूँ
जवाब दो प्रिंसिपल साहब ।
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प्रिंसिपल ने दराज से एक
सौ की गड्डी निकाल कर मेज
पर रखी और बोला -
मैं कौन सा प्रिंसिपल हूँ
प्रिंसिपल तो मेरे चाचा हैं ।
प्रॉपर्टी डीलिंग भी करते हैं
आज एक सौदे का बयाना लेने
शहर गए हैं ।
कह रहे थे ,
एक कमबख्त निरीक्षण
को आएगा , उसके मुंह पे ये
गड्डी मारना और दफा करना ।
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साहब ने मुस्कराते हुए गड्डी जेब के
हवाले
की और बोले - आज बच गये तुम सब ।
अगर आज
मामाजी को सड़क के ठेके के
चक्कर में शहर
ना जाना होता , और
अपनी जगह वो मुझे
ना भेजते तो तुम में से एक
की भी नौकरी ना बचती । 

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