जीवन में
सुख-दुःख का चक्र चलता रहता है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बड़ी से बड़ी विपदा को भी
हँसकर झेल जाते हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो एक दुःख से ही इतने टूट जाते हैं कि
पूरे जीवन उस दुःख से मुक्त नहीं हो पाते हैं। हमेशा अपने दुःख को सीने से लगाये
घूमते रहते हैं।
जबकि हकीकत
यह है कि जो बीत गया सो बीत गया। अब उसमे तो कुछ नहीं किया जा सकता पर इतना जरूर
है कि उसे भुलाकर अपने भविष्य को एक नई दिशा देने के बारे में तो सोचा ही जा सकता
है।
हम बच्चों
को बहुत सारी बातें सिखाते हैं मगर उनसे कुछ भी नहीं सीखते। बच्चों से भूलने की
कला हमको सीखनी चाहिए। हम बच्चों पर गुस्सा करते हैं, उन्हें
डांटते भी है लेकिन बच्चे थोड़ी देर बाद उस बुरे अनुभव को भूल जाते हैं।
हैं सबके
दुःख एक से मगर हौसले जुदा-जुदा
कोई टूटकर
बिखर गया कोई मुस्कुराकर चल दिया
No comments:
Post a Comment