2014-12-21

फिल्म पीके - रिव्यू

पीके फिल्म की कहानी

Peekay, Film Reviews
2014 Film
    9/10

पीके ( आमिर खान ) एक एलियन है, जिसे धरती पर इसलिए भेजा जाता है ताकि वो उन जैसे दिखने वाले लोगों के बारे में पता लगा सके, लेकिन धरती पर कदम रखते ही पीके का लॉकेट जिसे वो रिमोट कंट्रोल कहता है, एक आदमी चुरा लेता है। रिमोट के बिना वो अपने ग्रह से संपर्क नहीं कर पाता और रिमोट की तलाश में घूमना शुरू कर देता है।

दूसरी तरफ, दिल्ली की रहने वाली जगत जननी उर्फ जग्गू (अनुष्का शर्मा) जो विदेश में रहकर पढ़ाई कर रही होती है उसे सरफराज (सुशांत सिंह राजपूत) से प्यार हो जाता है, लेकिन उसके घरवाले तपस्वी महाराज (सौरभ शुक्ला) के कहने पर इस रिश्ते को नामंजूर कर देते हैं।
तपस्वी का कहना होता है कि सरफराज जग्गू को धोखा देगा। ऐसा ही होता है और बाद में जग्गू दिल्ली लौट आती है। दिल्ली लौटकर जग्गू एक न्यूज चैनल ज्वाइन कर लेती है। इधर रिमोट की तलाश में पीके भी दिल्ली आ जाता है। जग्गू की जब पहली बार पीके से मुलाकात होती है तो उसे एक स्टोरी नजर आती है। ऐसे में वो पीके का पीछा करती है और उससे पुलिस स्टेशन में मुलाकात करती है। पीके जब अपने बारे में ये बताता है कि वो दूसरे ग्रह से आया है तो उसे यकीन नहीं होता, लेकिन बाद में पीके इस बात का यकीन दिलाने में कामयाब हो जाता है। अब अनुष्का पीके की रिमोट ढूंढने में मदद करती है।

इसके बाद कहानी में कई रोमांचक मोड़ आते हैं जो आपको हंसने पर मजबूर कर देते हैं, लेकिन कहानी में क्या होता है ये तो आपको सिनेमाघरों में ही जाकर देखना होगा। 'धरती पर बड़ा कनफ्यूजन है भाई' धरती पर आकर पीके इस बात को महसूस करता है कि यहां के लोगों की सिर्फ बोली ही अलग नहीं है, बल्कि भगवान भी अलग-अलग है। यहां तक की पूजी करने का ढंग भी एक-दूसरे से जुदा है। जैसे, लोग मंदिरों में नंगे पैर जाते हैं वहीं गिरजाघरों में जूते पहनकर चले जाते हैं। पीके को इस बात का भी कनफ्यूजन रहता है कि हिंदू धर्म की विधवा सफेद साड़ी पहनती है। वहीं ईसाई धर्म की लड़की सफेद गाउन में शादी करती है। ईसाई धर्म को काई व्यक्ति मरता है तो वो ब्लैक कपड़े पहनते हैं, जबकि मुस्लिम लड़कियां आमतौर पर ब्लैक बुरका पहनती है।

पीके की भाषा है मजेदार

पीके जो दूसरे ग्रह का होता है भोजपुरी बोलना सीख लेता है। ऐसे में वो प्लीज को पलीज, ग्रह को गोला, मतलब को मतबल के साथ कई मजेदार लहजे में बोलता है। आमिर के मुंह से ये डायलॉग आपको मजा आएगा।

पीके ने लोगों को बताया 'रॉन्ग नंबर' पीके को जब ये मालूम होता है कि धरती पर रहने वाले लोग भगवान के नाम पर तपस्वी जैसे लोगों से रॉन्ग नंबर लगा रहे हैं। यानी तपस्वी अपने स्वार्थ के लिए लोगों का इस्तेमाल कर रहा है। इतना ही नहीं, कई बार लोग बिना पूरी बात जाने परिणाम तय कर लेते हैं। ऐसे में रॉन्ग नंबर को राइट नंबर बताने के लिए वो अपने अलग ही तर्क देता है। साथ ही, अपनी बातों को उदाहरण के साथ बताता है।

शानदार डायरेक्शन

राजकुमार हिरानी ने एक बार फिर से साबित कर दिखाया है कि क्यों उनकी फिल्में तारीफ बटोरती हैं। उन्होंने कहानी एक ऐसे किरदार पर फोकस की है, जो भले ही दूसरे ग्रह से आया, लेकिन उसने लोगों को काफी कुछ सिखा दिया। वैसे, राजू की फिल्में हमेशा ही मैसेज देती हैं। '3 इडियट्स' ने जहां दोस्ती के साथ मां-बाप को बच्चों की इच्छा जानने का मैसेज दिया था, तो 'मुन्ना भाई' सीरीज ने लोगों को एक-दूसरे से जुड़ने का संदेश दिया था। ऐसे में 'पीके' भी अपना मैसेज देने में पूरी तरह सफल रही है।

कमाल की एक्टिंग

फिल्म की कहानी आमिर और अनुष्का पर पूरी तरह से फोकस है। ऐसे में इन दोनों को उनकी एक्टिंग के लिए फुल मार्क्स दिए जा सकते हैं। पीके की भूमिका में आमिर खान ने अविस्मरणीय अभिनय किया है। उन्हें भोजपुरी बोलते देख ऐसा लगता नहीं कि उन्होंने इस भाषा को सीखा होगा। दूसरी तरफ, अनुष्का ने अपना किरदार पूरी ईमानदारी से निभाया है। संजय दत्त और सुशांत सिंह राजपूत के रोल छोटे जरूर थे, लेकिन दर्शकों का दिल जीतने के लिए वो काफी है। इनके साथ, सौरभ शुक्ला भी तपस्वी के रोल में फिट नजर आए है।

आप जरूर देखें

राजकुमार हिरानी का डायरेक्शन ऊपर से आमिर खान की एक्टिंग। इस कॉम्बिनेशन की फिल्म को ना देखने की बात कहना और फिल्म ना देखने की बात सोचना दोनों ही गलत है। यानी, इस फिल्म को देखने के लिए जेब थोड़ी सी हलकी जरूर करें। चाहो तो पॉपकॉर्न सिनेमाघर के बाहर खाएं। या फिर, फिल्म देखने के लिए खाना घर से ही खाकर जाएं। वैसे भी फिल्म देखते वक्त उस पर फोकस करें, तो ज्यादा मजा आएगा।

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