" मेरी प्यारी पत्नी.!!!
" सवाल " कुछ भी हो,
" जवाब " तुम ही हो.
" रास्ता " कोई भी हो,
" मंज़िल " तुम ही हो.
" दु:ख " कितना भी हो,
" खुशी " तुम ही हो.
" अरमान " कितना भी हो," जवाब " तुम ही हो.
" रास्ता " कोई भी हो,
" मंज़िल " तुम ही हो.
" दु:ख " कितना भी हो,
" खुशी " तुम ही हो.
" आरज़ू " तुम ही हो.
" गुस्सा " जितना भी हो,
प्यार तुम ही हो .
" ख्वाब " कोई भी हो,
" तकदीर " तुम ही हो.
यानि ऐसा समझो कि ,
" फसाद " कुछ भी हो,
सारे " फसाद " की " जड़ " ,
सिर्फ " तुम " ही हो ..
भेजो अपनी अपनी पत्नीयो को...
क्योकि डर के आगे जीत है...
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