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2015-03-14
जल नेति
जल नेति शुद्धि क्रिया का एक मुख्य अभ्यास है। जल नेति के द्वारा नसिका की सफाई होती है, जिससे साइनस, दमा, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस और यक्ष्मा को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है। साथ ही एलर्जी, सर्दी और साइनोसाइटिस के साथ-साथ आंख, कान और गले से संबंधित परेशानियों से अभ्यासी को मुक्त करता है। इससे चिंता, क्रोध, अवसाद, आलस्य दूर भागते हैं । शरीर में ताजगी एवं हल्कापन आता है। नेति से आज्ञा चक्र जाग्रत होता है।
जल नेति क्या है एवं इसे कैसे करे -
1 .जलनेति योग की एक सरल एंव प्रभावशाली क्रिया है | सिरदर्द और जुकाम के लिए यह एक उत्तम साधन है| नाक, गले व सर के सभी अव्ययों की सफाई, स्वच्छता एंव निरोगता के लिए-जलनेति-हठयोग की सुलभ व प्राकृतिक प्रक्रिया है.2. जलनेति का पात्र (लोटे) की विशेषता: जलनेति के लिये विशेष प्रकार लोटा लिया जाता है के इस लोटे में ऐसी नालकी लगी होती है जो नासिका-छिद्र में सहज ही प्रविष्ट कर जाती है| इसका अग्रभाग इस प्रकार से बना होता है कि नाक में घाव न हो|
3. उपयोग विधि:
एक लीटर स्वछ पानी को उबाल लें| कुनकुना रहने पर, उसमे दो चिमटी नमक मिलाकर, आधा पानी नेति के लोटे में भर लें, इससे नाक में चरमराहट नहीं होती|
फिर ऊकड़ू बैठ कर, लोटे की नलकी नाक के दाहिने नासाग्र में हलके से प्रविष्ट कराएँ| गर्दन को बाईं तरफ थोडा सा मोड़ लेंगे तो पानी नासाग्र से बहार आने लगेगा| मुँह को खुला रखिये ताकि गले से सांस आता जाता रहेगा और पानी अंदर भी नहीं जायेगा|
यही प्रक्रिया बाकी बचे पानी से, दूसरी नासाग्र द्वारा भी दुहराएँ|
इसके पश्चात, खड़े होकर कमर को आगे झुकाइए और भस्त्रिका प्राणायाम करें यानि मुँह बंद करके, तेजी से नाक से सांस बहार फेंकें जिससे कि नासिका में रुका हुआ पानी बहार निकल जाए|
अंत में, तिल्ली या नारियल का तेल, अंगुली भर कर नाक कि त्वचा में लगा लेना चाहिए|
नोट : सिरदर्द, जुकाम के लिए यह एक रामबाण इलाज है| सप्ताह में एक बार, सफाई के तौर पर भी यह क्रिया कि जाये तो आँखों कि ज्योति एंव याददाश्त बढती है और बलगम तथा नाक का श्लेष्मा शुद्ध हो जाता है|
सावधानी : शुरू - शुरू में यह क्रिया किसी अनुभवी व्यक्ति अथवा निकट के प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र, चिकत्सक कि देखरेख में करनी चाहिए, वरना लाभ के स्थान पर हानि भी हो सकती है|
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