जब तक मनुष्य इस सत्य आत्म – तत्व की खोज नहीं करेगा , संशय और अनिशय उसे जीवन भर घेरे रहेगे ! महान सम्राट और राजनीतिज्ञ दूसरों पर शासन करने का प्रयत्न करते रहते है जबकि वह अपने ह्रदय के अंत स्थल मे यह अच्छी तरह जानते है के वह अपने पे शासन नहीं कर सकते ! परंतु जो व्यक्ति आत्मा की गहराइयो मे प्रवेश करता है , विश्व की महत्तम शक्ति भी उसकी आज्ञा का अनुकरण करती है !
जब तक आपको यह पता नहीं की आप स्वंय कौन है ,संसार की अन्य वस्तुओ के जानने का क्या उपयोग है ? मनुष्य अपने सच्चे स्वरूप के इस अन्वेक्षण से बचते है परंतु इस से बढ़कर और कौन-सा अन्वेक्षण हो सकता है ?
--महर्षि रमण....
No comments:
Post a Comment