2015-03-08

सुकून-ए-ज़िंदगी

रुई का गद्दा बेच कर
मैंने इक दरी खरीद ली,

ख्वाहिशों को कुछ कम किया मैंने
और ख़ुशी खरीद ली ।

सबने ख़रीदा सोना
मैने इक सुई खरीद ली,

सपनो को बुनने जितनी
डोरी ख़रीद ली ।
मेरी एक खवाहिश मुझसे
मेरे दोस्त ने खरीद ली,

फिर उसकी हंसी से मैंने
अपनी कुछ और ख़ुशी खरीद ली ।

इस ज़माने से सौदा कर
एक ज़िन्दगी खरीद ली,

दिनों को बेचा और
शामें खरीद ली ।

शौक-ए-ज़िन्दगी कमतर से
और कुछ कम किये,
फ़िर सस्ते में ही
"सुकून-ए-ज़िंदगी" खरीद ली

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