पृश्न- गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण कीजिये ।
१०वीं कक्षा के छात्र द्वारा दिया गया उत्तर:-
1. सादा जीवन, उच्च विचार:
उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था.
पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन.
जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं.
पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन.
जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं.
और
विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने!
"जो डर गया, सो मर गया" जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.
२. दयालु प्रवृत्ति:
ठाकुर ने उसे अपने हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी.
अगर वो चाहता तो गर्दन भी काट सकता था.
पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.
अगर वो चाहता तो गर्दन भी काट सकता था.
पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.
3. नृत्य-संगीत का शौकीन:
"महबूबा ओ महबूबा" गीत के समय उसके कलाकार ह्रदय का परिचय मिलता है.
अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्रदय शुष्क नहीं था. वह जीवन में नृत्य-संगीत एवं कला के महत्त्व को समझता था.
बसन्ती को पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्यप्रेमी फिर से जाग उठा था.
उसने बसन्ती के अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में पहचान लिया था.
गौरतलब यह कि कला के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.
अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्रदय शुष्क नहीं था. वह जीवन में नृत्य-संगीत एवं कला के महत्त्व को समझता था.
बसन्ती को पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्यप्रेमी फिर से जाग उठा था.
उसने बसन्ती के अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में पहचान लिया था.
गौरतलब यह कि कला के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.
4. अनुशासनप्रिय :
जब कालिया और उसके दोस्त अपने प्रोजेक्ट से नाकाम होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती.
अनुशासन के प्रति अपने अगाध समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.
अनुशासन के प्रति अपने अगाध समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.
5. हास्य-रस का प्रेमी:
उसमें गज़ब का सेन्स ऑफ ह्यूमर था.
कालिया और उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसाया था. ताकि वो हंसते-हंसते दुनिया को अलविदा कह सकें.
वह आधुनिक युग का 'लाफिंग बुद्धा' था.
कालिया और उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसाया था. ताकि वो हंसते-हंसते दुनिया को अलविदा कह सकें.
वह आधुनिक युग का 'लाफिंग बुद्धा' था.
6. नारी के प्रति सम्मान:
बसन्ती जैसी सुन्दर नारी का अपहरण करने के बाद उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया.
आज-कल का खलनायक होता तो शायद कुछ और करता.
आज-कल का खलनायक होता तो शायद कुछ और करता.
7. भिक्षुक जीवन:
उसने हिन्दू धर्म द्वारा दिखाए गए जीवन के रास्ते को अपनाया था.
रामपुर, रामगढ़ और अन्य गाँवों से उसे जो भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर करता था.
बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.
रामपुर, रामगढ़ और अन्य गाँवों से उसे जो भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर करता था.
बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.
8. सामाजिक कार्य:
डकैती के पेशे के अलावा वो छोटे बच्चों को सुलाने का भी काम करता था.
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