जाड़े की धुप
टमाटर का सूप,
मूंगफली के दाने
छुट्टी के बहाने,
तबीयत नरम
ठंडी हवा
मुह में धुंआ,
फाटे हुए गाल
सर्दी से बेहाल,
तन पर पड़े
ऊनी कपडे,
दुबले भी लगते
मोटे तगड़े,
किटकिटाते दांत
ठिठुरते ये हाथ,
जलता अलाव
हांथों का सिकाव,
गुदगुदा बिछौना
रजाई में सोना,
सुबह का होना
सपनो में खोना,
" धीरेन्द्र सिंह भदोरिया "
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