मंदिर के बाहर लिखा हुआ एक खुबसुरत सच……!!
“अगर उपवास करके भगवान खुश होते,
तो इस दुनिया में बहुत दिनो तक खाली पेट रहने वाला भिखारी सबसे सुखी इन्सान होता…..!!
तो इस दुनिया में बहुत दिनो तक खाली पेट रहने वाला भिखारी सबसे सुखी इन्सान होता…..!!
इसलिऐ सच ही कहा गया है..!!
जिसमें कर्म बोए जाते हैं और
उन्ही के अच्छे-बुरे फल काटे जाते हैं ।
जो अच्छा कर्म करता है, वह अच्छे फल पाता है।
बुरे कर्म करने वाला बुरार्इ समेटता है….!!
बुरे कर्म करने वाला बुरार्इ समेटता है….!!
======= कहावत है ==========
आम बोएगा वह आम खाएगा, बबूल बोएगा वह कांटे पाएगा ।
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बबूल बोकर आम प्राप्त करना
जिस प्रकार प्रकृति का सत्य नही,
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बबूल बोकर आम प्राप्त करना
जिस प्रकार प्रकृति का सत्य नही,
उसी प्रकार बुरार्इ के बीज बोकर
भलार्इ पा लेने की कल्पना भी नही की जा सकती….!!
भलार्इ पा लेने की कल्पना भी नही की जा सकती….!!
Lovely message :
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कुए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है,
तो भरकर बाहर आती
जीवन का भी यही गणित है,
जो झुकता है वह
प्राप्त करता है...
तो भरकर बाहर आती
जीवन का भी यही गणित है,
जो झुकता है वह
प्राप्त करता है...
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जीवन में किसी का भला करोगे,
तो लाभ होगा...
क्योंकि भला का उल्टा लाभ होता है।
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तो लाभ होगा...
क्योंकि भला का उल्टा लाभ होता है।
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और
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जीवन में किसी पर दया करोगे,
तो वो याद करेगा...
क्योंकि दया का उल्टा याद होता है।
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तो वो याद करेगा...
क्योंकि दया का उल्टा याद होता है।
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भरी जेब ने ' दुनिया ' की पहेचान करवाई और खाली जेब ने ' इन्सानो ' की.
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जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,
शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,
अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती हैl
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शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,
अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती हैl
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किनारे पर तैरने वाली लाश को देखकर ये समझ आया ..
..बोझ शरीर का नही साँसों का था..
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..बोझ शरीर का नही साँसों का था..
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सर झुकाने से नमाज़ें अदा नहीं होती...!!!
दिल झुकाना पड़ता है इबादत के लिए...
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दिल झुकाना पड़ता है इबादत के लिए...
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पहले मैं होशियार था,
इसलिए दुनिया बदलने चला था,
आज मैं समझदार हूँ,
इसलिए खुद को बदल रहा हूँ.
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इसलिए दुनिया बदलने चला था,
आज मैं समझदार हूँ,
इसलिए खुद को बदल रहा हूँ.
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बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर...
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है.
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क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है.
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मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना.
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना.
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प्रेम चाहिये तो
समर्पण खर्च करना होगा।
विश्वास चाहिये तो
निष्ठा खर्च करनी होगी।
साथ चाहिये तो
समय खर्च करना होगा।
किसने कहा रिश्ते
मुफ्त मिलते हैं ।
मुफ्त तो हवा भी नहीं मिलती
एक साँस भी तब आती है
जब एक साँस छोड़ी जाती हे
समर्पण खर्च करना होगा।
विश्वास चाहिये तो
निष्ठा खर्च करनी होगी।
साथ चाहिये तो
समय खर्च करना होगा।
किसने कहा रिश्ते
मुफ्त मिलते हैं ।
मुफ्त तो हवा भी नहीं मिलती
एक साँस भी तब आती है
जब एक साँस छोड़ी जाती हे
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