धन और मन
धन और मन
बहुत साल बाद दो दोस्त रास्ते में मिले .
धनवान दोस्त ने उसकी आलिशान गाड़ी पार्क की और गरीब मित्र से बोला चल इस गार्डन में बेठकर बात करते है चलते चलते अमीर दोस्त ने गरीब दोस्त से कहा तेरे में और मेरे में बहुत फर्क है .
हम दोनों साथ में पढ़े साथ में बड़े हुए मै कहा पहुच गया और तू कहा रह गया ? चलते चलते गरीब दोस्त अचानक रुक गया .
अमीर दोस्त ने पूछा क्या हुआ ?
गरीब दोस्त ने कहा तुझे कुछ आवाज सुनाई दी?
अमीर दोस्त पीछे मुड़ा और पांच का सिक्का उठाकर बोला ये तो मेरी जेब से गिरा पांच के सिक्के की आवाज़ थी।
गरीब दोस्त एक कांटे के छोटे से पोधे की तरफ गया जिसमे एक तितली पंख फडफडा रही थी .
गरीब दोस्त ने उस तितली को धीरे से बाहर निकला और आकाश में आज़ाद कर दिया .
अमीर दोस्त ने आतुरता से पुछा तुझे तितली की आवाज़ केसे सुनाई दी?
गरीब दोस्त ने नम्रता से कहा " तेरे में और मुझ में यही फर्क है.
तुझे "धन" की सुनाई दी और मुझे "मन" की आवाज़ सुनाई दी .
"यही सच है "
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