2015-01-05

जीवन के फिलासफे

जीवन के फिलासफे

जीवन के बारे मे लिखी हुयी ये बातें हमनें अलग अलग सुनी या पढी हैं । उनमे से खुछ यहाँ उद्धरत है ।




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मनुष्य सुबह से शाम तक काम करके उतना नहीं थकता;
जितना क्रोध और चिंता से एक क्षण में थक जाता है।

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ईश्वर का दिया कभी अल्प नहीं होता;
जो टूट जाये वो संकल्प नहीं होता;
हार को लक्ष्य से दूर ही रखना;
क्योंकि जीत का कोई विकल्प नहीं होता।

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जिंदगी में दो चीज़ें हमेशा टूटने के लिए ही होती हैं:
"सांस और साथ"
सांस टूटने से तो इंसान एक ही बार मरता है;
पर किसी का साथ टूटने से इंसान पल- पल मरता है।
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जीवन का सबसे बड़ा अपराध -
किसी की आँख में आंसू आपकी वजह से होना। 
और 
जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि -
किसी की आँख में आंसू आपके लिए होना।


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जिंदगी जीना आसान नहीं होता; बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता;
जब तक न पड़े हथोड़े की चोट; पत्थर भी भगवान नहीं होता।

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जरुरत के मुताबिक जिंदगी जियो  - ख्वाहिशों के मुताबिक नहीं।
क्योंकि जरुरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है;
और ख्वाहिशें बादशाहों की भी अधूरी रह जाती है।

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मांगो तो अपने रब से मांगो;
जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत;
लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना;
क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी।
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कभी भी 'कामयाबी' को दिमाग और 'नकामी' को दिल में जगह नहीं देनी चाहिए।
क्योंकि, कामयाबी दिमाग में घमंड और नकामी दिल में मायूसी पैदा करती है।
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कौन देता है उम्र भर का सहारा?
लोग तो जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते 
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जीवन में किसी का 'भला' करोगे,
तो 'लाभ' होगा क्योंकि 'भला' का उल्टा 'लाभ' होता है।
और जीवन में किसी पर 'दया' करोगे,
तो वो 'याद' करेगा क्योंकि 'दया' का उल्टा 'याद' होता है।
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हर सपना कुछ पाने से पूरा नहीं होता;
कोई किसी के बिन अधूरा नहीं होता;
जो चाँद रौशन करता है रात भर सब को;
हर रात वो भी तो पूरा नहीं होता।
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रोने से किसी को पाया नहीं जाता;
खोने से किसी को भुलाया नहीं जाता;
वक्त सबको मिलता है ज़िंदगी बदलने के लिए;
पर ज़िंदगी नहीं मिलती वक्त बदलने के लिए।

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