रेलवे में चोरी - क्या करें ?
दिल्ली से आगरा लौटते वक्त एसी कोच में आगरा के एक यात्री का पर्स चोरी हो गया, जिसमें लाखों के जेवर और रुपए थे। चोरी गए सामान की कीमत अब रेलवे को देना होगी।
सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने रेल यात्रियों को यह सुविधा दिला दी है। इसके लिए पीड़ित यात्री को उपभोक्ता फोरम में रेलवे की सेवा में कमी का मामला दायर करना होगा।
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के मुताबिक रिजर्व कोच में अनाधिकृत व्यक्ति का प्रवेश रोकना टीटीई की जिम्मेदारी है और अगर वह इसमें नाकाम रहता है तो रेलवे सेवा में खामी मानी जाएगी।
कैसे मिला अधिकार
फरवरी 2014 में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने ट्रेन से चोरी गए महिला डॉक्टर के सामान की राशि का भुगतान रेलवे को करने का आदेश दिया। रेलवे ने इस पर दलील दी की ये मामला रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में ही सुना जा सकता है, जबकि यात्री के वकील के मुताबिक ट्रिब्यूनल में सिर्फ रेलवे में बुक पार्सल के मामलों को ही सुना जाता है। न्यायमूर्ति सी के प्रसाद और पिनाकी चंद्र घोष की पीठ ने 17 साल पुराने इस मामले में रेलवे की दलील खारिज कर दी और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले में दखल देने से इंकार कर दिया।
नहीं भरवाते फार्म
यह अधिकार यात्रियों के लिए जितना सुविधाजनक है, उतना ही रेलवे और पुलिस के लिए मुश्किल भरा। इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि इसकी जानकारी यात्रियों को नहीं है और न ही इस जानकारी को उन तक पहुंचाने के लिए कोई कारगर कदम उठाए गए हैं।
ट्रेन में चोरी होने के बाद रिपोर्ट दर्ज कराते वक्त पीड़ित को इस बारे में पुलिस द्वारा जानकारी नहीं दी जाती है। हालांकि जबलपुर जीआरपी का कहना है कि 1 अप्रैल 2014 के बाद यह आदेश जारी हुआ और 6 माह बाद यानि सितम्बर से अब तक एक भी मामला नहीं आया है ।
6 माह करना होगा इंतजार
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