2015-01-06

राम दुबारा मत आना

राम दुबारा मत आना, अब यहाँ लखन हनुमान नहीं,




राम दुबारा मत आना, अब यहाँ लखन हनुमान नहीं,
90 करोड़ इन मुर्दों में, अब बची किसी में जान नहीं,
भाई भाई के चक्कर में अब, अपनी बहनों का ज्ञान नहीं,
हम कैसे कह दें कि हिंदू अब, राम की संतान नहीं,
इतिहास भी रो कर शांत हो गया, भगवा पर अभिमान नहीं,
अब याद इन्हें बस अकबर है, राणा का बलिदान नहीं,
हल्दी घाटी सुनसान हो गयी, चेतक का तूफान नहीं,
हिंदू भी होने लगे दफ़न, अब जलने को शमशान नहीं,
बहनों की चीखें गूँज रही, सनातन का सम्मान नहीं,
गैर धर्म ही इनके सब कुछ हैं, अब महादेव भगवान नहीं,
हे राम दुबारा मत आना, अब यहाँ लखन हनुमान नहीं।

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