2015-01-07

मुश्किल है अपना मेल प्रिये

हास्य कविता - मुश्किल है अपना मेल प्रिये--- -

ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

तुम एम.ए. फर्स्ट डिवीजन हो ---- मैं हुआ मैट्रिक फेल प्रिये
तुम फौजी अफसर की बेटी---- मैं तो किसान का बेटा हूं
तुम रबडी खीर मलाई हो----मैं तो सत्तू सपरेटा हूं
तुम ए.सी. घर में रहती हो---- मैं पेड. के नीचे लेटा हूं
तुम नई मारूति लगती हो----मैं स्कूटर लम्ब्रेटा हूं
इस तरह अगर हम छुप छुप -----करआपस में प्यार बढाएंगे
तो एक रोज तेरे डैडी----अमरीश पुरी बन जाएंगे
सब हड्डी पसली तोड.----मुझे भिजवा देंगे वो जेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये
तुम अरब देश की घोड़ी हो----मैं हूं गदहे की नाल प्रिये
तुम दीवाली का बोनस हो----मैं भूखों की हड.ताल प्रिये
तुम हीरे जडी तस्तरी हो----मैं एल्युमिनियम का थाल प्रिये
तुम चिकेन, सूप, बिरयानी हो----मैं कंकड. वाली दाल प्रिये
तुम हिरन चौकडी भरती हो----मैं हूं कछुए की चाल प्रिये
तुम चन्दन वन की लकड़ी हो----मैं हूं बबूल की छाल प्रिये
मैं पके आम सा लटका हूं----मत मारो मुझे गुलेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये
मैं शनिदेव जैसा कुरूप----तुम कोमल कंचन काया हो
मैं तन से, मन से कांशी हूं----तुम महाचंचला माया हो
तुम निर्मल पावन गंगा हो----मैं जलता हुआ पतंगा हूं
तुम राजघाट का शांति मार्च----मैं हिन्दू-मुस्लिम दंगा हूं
तुम हो पूनम का ताजमहल----मैं काली गुफा अजन्ता की
तुम हो वरदान विधाता का----मैं गलती हूं भगवन्ता की
तुम जेट विमान की शोभा हो----मैं बस की ठेलमपेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये




तुम नई विदेशी मिक्सी हो----मैं पत्थर का सिलबट्टा हूं
तुम ए.के. सैंतालिस जैसी----मैं तो इक देसी कट्टा हूं
तुम चतुर राबड़ी देवी सी----मैं भोला-भाला लालू हूं
तुम मुक्त शेरनी जंगल की----मैं चिडि.याघर का भालू हूं
तुम हंसी माधुरी दीक्षित की----मैं पुलिस मैन की गाली हूं
गर जेल मुझे हो जाए तो----दिलवा देना तुम बेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये
मैं ढाबे के ढांचे जैसा----तुम पांच सितारा होटल हो
तुम चित्रहार का मधुर गीत----मैं कृषि दर्शन की झाड़ी हूं
तुम विश्व सुंदरी सी महान----मैं ठेलिया छाप कबाड़ी हूं
तुम सोनी का मोबाइल हो----मैं टेलीफोन वाला चोंगा
तुम मछली मानसरोवर की----मैं सागर तट का हूं घोंघा
दस मंजिल से गिर जाउंगा----मत आगे मुझे ढकेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये
तुम जयप्रदा की साडी हो----मैं शेखर वाली दाढी हूं
तुम सुषमा जैसी विदुषी हो----मैं लल्लू लाल अनाडी हूं
तुम जया जेटली सी कोमल----मैं सिंह मुलायम सा कठोर
तुम हेमा मालिनी सी सुंदर----मैं बंगारू की तरह बोर
तुम सत्ता की महारानी हो----मैं विपक्ष की लाचारी हूं
तुम हो ममता जयललिता सी----मैं क्वारा अटल बिहारी हू
तुम संसद की सुंदरता हो----मैं हूं तिहाड. की जेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये ।



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